ब्लेडर मास का सफल ऑपरेशन कर न्यू देवभूमि हॉस्पिटल के चिकित्कों ने मरीज को दिया नया जीवन
पंडित दिव्यांश शर्मा स्वतन्त्र पत्रकार
हरिद्वार, 14 मार्च। न्यू देवभूमि हॉस्पिटल में ब्लेडर मास अर्थात पेशाब की थैली में कैंसर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे 56 वर्षीय मरीज का सफल आॅप्रेशन किया गया। मरीज दिल की गंभीर बीमारी से भी पीड़ित था। यूरोलाॅजिस्ट डा.अश्वनी कंडारी, डा.ऋषभ दीक्षित और डा.सुशील कुरील ने करीब 45 मिनट तक आप्रेशन थियेटर में वाईपोलर टयूआरवीटी तकनीक से सफल ऑपरेशन कर मरीज को नया जीवन दिया। आप्रेशन सफल पर मरीज और उनके परिवार जनों चिकित्सकों का आभार जताया। यूपी के बिजनौर नजीबाबाद निवासी मरीज रईसुददीन पेशाब की थैली में कैंसर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। फिटनेस टेस्ट कराने हार्ट में ब्लाकेज का पता चला। हार्ट की ईसीजी और ईको में समस्या भी दिखाई दी। इसके बाद एंजियोग्राफी कराई तो पता चला कि तीन नसें ब्लॉक हो गई हैं। चिकित्सकों ने बाईपास कराने की सलाह दी। चिकित्सकों का कहना था कि ऐसी स्थिति पेशाब की थैली का ऑपरेशन करना संभव नही है और बहुत रिस्की है। इससे उनकी जिंदगी को खतरा है। रईसुद्दीन ने बताया कि तमाम जानकारी होने पर हरिद्वार के दूसरे निजी हॉस्पिटल में भी दिखाया लेकिन। चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने से इंकार कर दिया। निराश और परेशान रईसुददीन ऋषिकेश एम्स पहुंचे। लेकिन एम्स के चिकित्सकों ने भी ऑपरेशन करने से मना कर दिया। रईसुददीन ने बताया कि वह अपनी बीमारी से काफी निराश हो चुके थे। इसी बीच उनके एक परिचित ने हरिद्वार के न्यू देवभूमि हॉस्पिटल में डा.सुशील शर्मा से मिलने की सलाह दी। डा.सुशील शर्मा को तमाम रिपोर्ट आदि दिखायी। डॉ सुशील शर्मा ने उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि आप्रेशन करेंगे और स्वस्थ करके उन्हें घर भेजेंगे। डा.सुशील शर्मा की बात सुनने के बाद मन में खुशी तो हुई लेकिन घबराहट और बैचेनी बढ़ गई। चिंता होने लगी कि आप्रेशन होगा तो कैसे होगा और तमाम बाते दिमाग में घूमने लगी। डा.सुशील शर्मा ने मुझे कहा कि परेशान होने की जरूरत नही है कि आपको ठीक करना हमारा काम है। बस भरोसा रखना और घबराना नही। आज जब मै पूरी तरह से ठीक हो गया हूं तो डा.सुशील शर्मा की भरोसा रखने वाली बात मेरा हौसला बढा रही है। वास्तव में डॉ भगवान का रूप होते है। ऐसा मैंने महसूस किया है।
आप्रेशन टीम का हिस्सा रहे डा.ऋषभ दीक्षित ने बताया कि मरीज की तीन नसे ब्लॉक थी। लेकिन कोई एक्टिव दर्द छाती में नहीं था। एक्टिव दर्द नहीे होने के कारण मरीज को सबसे बड़ी समस्या पेशाब में खूब आने से हो रही थी। जबकि पेशाब की थैली में टयूमर था। मरीज को काफी परेशानी हो रही थी। हाई रिस्क आप्रेशन करने की जिम्मेदारी यूरोलोजिस्ट डा.अश्वनी कंडारी और उन्होंने संभाली। जबकि डा.सुशील कुरील ने एनेस्थिीसिया देकर मरीज को बेहोश करने में अहम भूमिका निभाई। आप्रेशन सफल रहा और मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो गया है। 24 घंटे आईसीयू में रखने के बाद वार्ड में शिफ्ट कर दिया है।
क्या है ब्लेडर मास
ब्लेडर मास का ऑपरेशन आमतौर पर ब्लेडर कैंसर के इलाज में किया जाता है। ब्लेडर कैंसर के मुख्य इलाज के रूप में अक्सर ऑपरेशन किया जाता है। लेकिन इसका चयन इस बीमारी के उपाय की गंभीरता और बीमारी के चरण के आधार पर किया जाता है।
ब्लेडर मास के ऑपरेशन कई तरह के हो सकते हैं, जैसे कि सिस्टेक्टोमी, इनट्राक्टोटिक ब्लेडरेक्टोमी या फिर ब्लेडर को स्तंभ के रूप में बनाए रखना और कैंसर को हटाने के लिए रेडियोथेरेपी या केमोथेरेपी का उपयोग करना।