राजनेताओं के दबाव में होता है मानवाधिकारों का हनन- एडवोकेट पुनीत कंसल
1 min readपंडित दिव्यांश शर्मा स्वतन्त्र पत्रकार हरिद्वार, 10 दिसम्बर। मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मनु मन की आवाज संस्था तथा हरिद्वार लोकमत लीगल काउंसिल ने विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर मनु मन की आवाज संस्था की अध्यक्ष तथा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर डॉ मनु शिवपुरी ने कहा कि मानवाधिकारों की अवधारणा समाज को प्रत्येक मनुष्य को हमसे अलग ना मानने पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है। हमें सभी प्राणियों और उनके आवास स्थान से सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए। हरिद्वार लोकमत लीगल काउंसिल के राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत कंसल नेकहा कि कानून एवं व्यवस्था तथा मानवाधिकार संरक्षण में पुलिस की जो भूमिका होती है उसमें सिर्फ पुलिस ही दोषी नहीं होती है। पुलिस राजनीतिक दबाव में ही मानवाधिकार का हनन करती है। देश के सभी प्रदेशों में मानवाधिकार को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। किसी के साथ मानवाधिकार से संबंधित कोई मामला हो तो सीधे हम से संपर्क करें। पुनीत कंसल ने कहा कि साइबर क्राइम की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। रोज भोली-भाली जनता की जेब कट रहीं है। ये बहुत बड़ा जुर्म है इसलिए मनु की आवाज और हरिद्वार लोकमत लीगल काउंसिल ने इस संबंध में जागरूकता अभियान सोशल मीडिया के माध्यम से चलाया है। उन्होंने कहा कि इस जन मानस मिशन के सदस्य भी कानून के दायरे में रहे और आम लोगों की सहायता करे। चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर सदस्य को दोषी पाया गया तो उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी और कानून सम्मत कार्रवाई होगी। वरिष्ठ समाज सेवी चौधरी संजीव बालियान ने कहा कि मानव अधिकार हर व्यक्ति के साथ जुड़ा है। पुलिस भी आज इसकी शिकार हो रही है। जिले में अगर कोई समस्या हो तो वे बेहिचक उनसे संपर्क कर सकते हैं। युवा समाज सेवी आकाश भारद्वाज ने इस कार्यक्रम की सराहना की। अधिवक्ता अर्क शर्मा ने कहा कि पिछले दिनों साइबर क्राइम के तहत लाखों लोंगो के खाते से ओटीपी के माध्यम से राशि की निकासी कर ली गयी थी। उन्होंने कहा कि जब पढ़े लिखे लोग इतने अनभिज्ञ हैं तो समाज के लोग कितना अनभिज्ञ होंगे यह सोचने वाली बात है। इसलिए उन्होंने साइबर क्राइम को लेकर चल रहें अभियान को और मजबूती प्रदान करने का आवाहन किया। सोशल एक्टिविस्ट पंडित दिव्यांश शर्मा ने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन की पुलिस से संबंधित जो शिकायतें मानवाधिकार आयोग को भेजी जाती हैं। उनकी जांच पुलिस अधिकारी ही करते हैं। पुलिस की शिकायत की जांच पुलिस अधिकारी ही करते हैं, इसलिए मामलों में अक्सर लीपापोती कर दी जाती है। मानवाधिकार हनन के मामलों की शिकायत की जांच मानवाधिकार आयोग के अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए। पुलिस को आम आदमी के प्रति अपना व्यवहार सुधारना चाहिए। आज भी थाने में लोगों को अवैध रूप से हिरासत में रखा जाता है। उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। इस पर प्रतिबंध के लिए जागरूकता जरूरी है। उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय ने मानवाधिकारों के हनन को रोकने के लिए समय-समय पर दिशा निर्देश जारी किए हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा इनका क्रियान्वयन नहीं किया जाता। इसी वजह से व्यक्ति के अधिकारों का हनन होता है। मानव को जो गरिमामयी तरीके से जीवन जीने के अधिकार प्रदान किए गए हैं, उनकी निगरानी के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए और मानवाधिकारों का हनन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान भी होना आवश्यक है। तभी मानवाधिकारों की रक्षा संभव है।