चरेख डाण्डा का भ्रमण कर लौटा पतंजलि का दल
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चरेख डाण्डा का भ्रमण कर लौटा पतंजलि का दल
हरिद्वार, 17 अक्टूबर। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तत्वावधान तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से महर्षि चरक की जन्मस्थली, चरेख डाण्डा में औषधीय पौधों के अभिलेखिकरण, हर्बेरियम तैयार करने व शोध संबंधी कार्य प्रस्तावित हैं। यह कार्य अन्तर्राष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान परिसर में होना प्रस्तावित है। सम्पूर्ण कार्य के क्रियान्वयन व अग्रिम अवलोकन हेतु पतंजलि योगपीठ का 120 सदस्यीय दल चरेख डाण्डा पहुँचा। दल की अध्यक्षता पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज ने की। उत्तराखंड की सुरम्य पहाड़ियों में स्थित महर्षि चरक की तपस्थली चरेख-डांडा में भ्रमण करते हुए आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि यह भूमि आयुर्वेद के महान् वैज्ञानिक महर्षि चरक की है तथा यहाँ आकर उन्हें महर्षि चरक की सूक्ष्म उपस्थिति की अनुभूति हुई। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह स्थान बहुत ही दिव्य, भव्य व अनुपम है। यहाँ से आयुर्वेद का वृहद् व व्यापक कार्य पतंजलि योगपीठ के माध्यम से किया जाना है। उन्होंने कहा कि पतंजलि की भावी योजना में इस स्थान पर जड़ी-बूटियों का रोपण, नर्सरी व ग्रीन हाऊस इत्यादि का निर्माण शामिल है। आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में आयुर्वेद का अकूत भण्डार है। यहाँ पाई जाने वाली विभिन्न औषधियाँ व जड़ी-बूटियाँ अनेक रोगों को दूर करने में सक्षम हैं। आवश्यकता है उनकी पहचान, संरक्षण व इसे प्रसंस्कृत कर उपयोगी बनाने की। इससे न केवल आयुर्वेद को प्रामाणिक औषधि का दर्जा दिलाने में सहायता मिलेगी अपितु पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार का सृजन भी होगा। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि यहाँ विशेष तौर पर गिलोय, अश्वगंधा, एलोवेरा इत्यादि का रोपण किया जाएगा। दल में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति, पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डा.अनुराग वाष्र्णेय, पतंजलि विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार, डा.राजेश मिश्र, विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा पतंजलि अनुंसधन संस्थान के वैज्ञानिक शामिल रहे।
चरेख डाण्डा में भ्रमण करता दल